इस आर्टिकल में हम जानेंगे GST क्या है , GST के फायदे ,
और आप किस तरह GST की सुविधा प्रदान कर सकते हैं
GST का Full Form (Good And Service Tax) होता है इसका हिंदी में अर्थ (वस्तु एवं सेवा कर) है यह देश भर में वस्तुओं और सेवाओें की बिक्री पर लगने वाले GST का फायदा यह है की किसी भी एक वस्तु पर लगने वाला टैक्स पूरे भारत में एक होगा मतलब भारत में कोई भी व्यापारी उस वस्तु को बेचेगा तो उसको एक बराबर टैक्स चुकाना पड़ेगा
जब कोई सामान फैक्ट्री से निकलता था तो उस पर उत्पाद शुल्क यानी Excise tax लगता था कई बार कई सामानो पर अतिरिक्त उत्पाद यानी Additional tax duty भी लगता था
अगर यही सामान एक राज्ये से दुसरे राज्ये जा रहा है तो एंट्री करते ही Entry Tax लगता था
और जब सामान बिकने की बारी आती थी तो Sales tax लगता था कई मामलो में Purcharse Tax भी लगता था
अगर वह सामान होटल या रेस्टोरेंट में जा रहा है तो उस पर Service Tax अलग से लगता था , मतलब अगर कोई सामान Consumer तक पहुंचना है तो पहुचने से पहले कई Duties and taxes से गुजरना होता था
GST Tax वस्तु और सेवा का इस्तेमाल करने वाले को देना पड़ता है।
मतलब ये है कि दुकानदार अगर कोई समान या वस्तु देता है तो उसमे GST अलग से लिख कर देता है,
जो की खरीदार को GST मिलाकर पूरा पैसा देना होता है, ।
GST के पहले कई अलग-अलग Tax लगते थे, अक्सर टैक्स के ऊपर Tax भी लग जाते थे।
बहुत से ऐसे समान और सेवाएं है जो दो या दो से अधिक तरह की Categories में आती थी ।
पर अब ऐसा नहीं होगा।
क्योंकि अब जीएसटी अंतिम रूप से Consumer को ही अदा करना है।
बीच में अगर किसी ने Deposit करता है तो उसका पैसा टैक्स क्रेडिट सिस्टम से वापस यानी Adjust हो जायेगा।
किसी सामान के निर्माण से लेकर Consumer के हाथों पहुंचने में पूरी चेन शामिल होती है। सामान कई बार खरीदा बेचा जाता है। GST के नियमों के मुताबिक सप्लाई चेन में हर खरीद बिक्री पर तय टैक्स देना होगा। अगर Tax Credit System नहीं होता तो हर स्तर पर टैक्स लगने से चीजें बहुत महंगी हो जाती। इस सिस्टम में सप्लाई चेन का हर अगला खरीदार अपने से पिछले वाले विक्रेता के द्वारा दिए गए टैक्स वापस मिल जाता है ।
हर महीने GST रिटर्न भरने के दौरान आप Tax Credit System के माध्यम से अपना जीएसटी Adjust करा सकते हैं
पहले राज्य सरकारें अपने यहां बिकने वाले हर एक सामान पर अपनी मनमर्जी से Tax लगाती थी । Rate भी अपना-अपना रखती थीं। पर अब ऐसा नहीं होता । GST के प्रावधानों में या रेट में किसी भी तरह के Changes के लिए GST Council तैयार की गयी है। इसके अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे और राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होंगे।
आम आदमियों के लिए| For Common People
तरह-तरह के Tax खत्म होने और टैक्स के उपर Tax खत्म होने से वस्तुओं की लागत में Unnecessary बढोतरी नहीं। सामानो के दाम भी ज्यादा नहीं बढ़ेंगे।
आम जरूरत की चीजों पर कम Tax लगेगा। आम आदमियों के ज्यादा काम आने वाली चीजें सस्ते में मिल सकेंगी।
कारोबारियों के लिए| For Businessmen
आल Document ऑनलाइन होने के कारण दस्तावेजों को तोड-मरोडकर पेश नहीं किया जा सकता। किसी भी तरह की चूक होने पर या खो जाने पर उसे Online ही सुधारने की सुविधा होगी। Offices के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
हर राज्य में Taxes का अलग अलग Structure होने से कारोबारियों को उसे समझना आसान नहीं था। कई अधिकारी-कर्मचारी भी ज्यादा नियमों का गलत फायदा उठाते थे। अब Businessmen को इन झंझटों से नहीं गुजरना पडेगा।
1.हर स्टेज पर होने वाली खरीदारी और बिक्री की रसीदों का मिलान होना जरूरी होगा। तभी पहले के Stages में जमा किया गया Tax Credit का फायदा कारोबारियों को मिल सकेगा। हर किसी को Bill देना और बाद में उनकी रसीद पेश करना जरूरी होगा। ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो पायेगी ।
2. Production से लेकर बिक्री तक की Chain में बहुत सी जगहों पर काम दिखाया ही नहीं जाता है। अब GST में ऐसे छूटे लोग भी Tax की इस चेन में जुड़ जाएंगे।
1. सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स| Central Goods and Service Tax (CGST)
सामान का लेन-देन अगर एक ही State के दो के बीच हो रहा हो तो टैक्स (CGST) केंद्र सरकार को देना पड़ता है।
2. स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स |State Goods and Service Tax (SGST)
सामान का लेन-देन अगर एक ही State के दो के बीच हो रहा हो तो टैक्स (SGST) राज्य सरकार को देना पड़ता है।
3. इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स| Integrated Goods and Service Tax (IGST)
सामान का लेन-देन अगर अलग-अलग States के दो के बीच हो रहा हो तो टैक्स (IGST) केंद्र सरकार को देना पड़ता है।
Note: अगर राज्ये के अंदर कोई डील होती है तो उस डील पर 2 टैक्स देने पड़ेंगे। पहला केंद्र सरकार को CGST और दूसरा राज्ये सरकार को SGST। अगर दो राज्यों को बीच डील होती है तो सिर्फ एक टैक्स देना पड़ेगा केंद्र सरकार को IGST ।
मान लीजिये एक व्यापारी से एक कंपनी ने कुछ सामान ख़रीदा। सौदा राज्ये के अंदर ही हो रहा है , सामान की कीमत 5 लाख रूपये है तो इस पर 18 % GST लगेगा, वो व्यापारी 5 लाख और 18% GST उस कंपनी से वसूलेगा , अब वो व्यपारी २ जगह टैक्स भरेगा केंद्र और राज्ये सरकार को मतलब 45,000 केंद्र को और 45,000 राज्ये सरकार को ।
अलग अलग प्रकार की वस्तुओं के लिए GST के 5 स्लैब है ।
जीरो, Zero, 5%, 12%, 18%, और 28%.
ज्यादा जरुरतमंद चीज़ो पर कम से कम टैक्स लगता है , और आरामदेह व कम इस्तेमाल चीज़ो पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लगता है ।
जैसे की Air Conditioner, Refrigerator, Makeup आदि पर 28 % GST लगता है । कच्चा माल मसलन अनाज और ताजी सब्जियों आदि पर Zero टैक्स लगता है। Education और Health सुविधाओं को Tax से बहार रखा गया है।